1 Part
222 times read
16 Liked
समय समय रहता नहीं कभी एकसा, मुट्ठी से फिसले रेत सा। इसे रोक नहीं पाया कोई, बीत कर नहीं लौटता सा। मौक़ा मिल जाता है सबको, करले कद्र वही सिकन्दर है, ...