मुझे सहानुभूति के साथ हँसी आ गई। मगर हँसी को होंठों से बाहर न आने दिया। सँभलकर स्नेह से कहा, ‘चतुरी, इसका वाजिबउल-अर्ज में पता लगाना होगा। अगर तुम्हारा जूता देना ...

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