उन दिनों मुझे उन्निद्र रोग था। इसलिए सिर के बाल साफ थे। मैंने सोचा कि वेश का अभाव है तो भाषा को प्रभावशाली करना चाहिए; नहीं तो थानेदार साहब पर अच्छी ...

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