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गरज-गरज रह जाए मेघा, पेड़ नहीं कैसे आएंगे। चोली-दामन के साथी हैं, तन्हा कैसे रह पाएंगे। नहीं उठेगी महक सुहानी, इस सौंधी-सौंधी मिट्टी से। बारिश की बूंदें कब होंगीं, नद कहाँ ...