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यह प्रश्न बिलकुल सत्यव्रत के मन का था। आवेदन-पत्र भेजते समय उसने क्या-क्या कल्पनाएँ नहीं की थीं! गुरुकुल की शिक्षा अधूरी न रह जाती तो वह समस्त भारत में शिक्षा और ...