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भ्रमर बगिया में आहट अलिंद की, फिर कली मसल दी जाएगी। क्या कर पाएं फूल बेबस, ऋतु बसंत भी मुरझाएगी। सदियों से ये होता आया, आगे यही होता है क्यों?? कोई ...