एक नज़्म.....( तुम्हारे सिवा )

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एक नज़्म.....( तुम्हारे सिवा ) आओ किसी  शब चांदनी का मचलना देखो, मेरी तन्हा ज़िन्दगी को वीरानियों का नज़राना देखो। यूं तो सब कुछ है ज़िन्दगी मे तुम्हारे सिवा, आओ कभी ...

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