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जो समर्पण तुमने, मुझे दिखाया है। मैंने तुम्हें दिन ब दिन, तुझे खुद के क़रीब पाया है! नज़रिया बेशक़ अलग है हमारा, कभी तुमने, तो कभी मैंने, प्रेम का दीपक जलाया ...