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गांव भी शहरों की तरह झूमने लगे हैं लोग नशे में टुन्न होकर घूमने लगे हैं जीवन मूल्यों की अपेक्षा पैसे को तरजीह देने लगे हैं बेरुखी के बबूल के तले ...