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दोहा वादा ऐसा कीजिए , जिसमें रहे विधान। कुटिल केकई चाल में,तजें न दसरथ प्रान।। वादा हो हरिचन्द्र सा , भले भुला कर नेह। प्रण रखने को बिक गये, स्वयम् डोम ...