चिंता

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मनहरण घनाक्षरी वर्ण-8887 शीर्षक - चिंता चिंता चिता के समान, निर्धन या धनवान, बसती हृदय जब, राख कर जाती है। अनल लगाती हिय, नित तड़पाती जिया, तिल-तिल मारती है, जान हर ...

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