गीत(सखी री!)

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गीत(सखी री!) क्या बतलाऊँ तुझे सखी री! रात कटी थी अनबन में। बहुत मनाए सुने न साजन, रही विकलता तन-मन में।। मीठी-मीठी बातों से ही, रात भयंकर कट जाती। यदि बाहों ...

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