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शीर्षक :तेरी कमी.... तेरी कमी अश्कों में बहती चली गई, मंज़िल उम्मीदों की ढहती चली गई । चाह थी कि जिंदगी हो तेरी पनाहों में, प्यार में हदें यूँ ज्यादा सहती ...