यादों का धुआँ

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यादों का धुआं उठने दो, हमें बस यादों में जीने दो, ठहर के कुछ बिते लम्हों में, यादों के चिराग जलाने दो। बेबसी का आलम ना रहे, उल्फत दास्ताँ को भी, ...

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