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मनवाँ रे! मनवाँ रे!तोरा मरम न जाने कोय।। कबहुँ उड़े चंचल खग जैसा,पलक झपे कहुँ खोय। थकित,श्रान्त,बोझिल हो कबहूँ नीड़हि अपुने सोय ।। ...