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शीर्षक :भोर की लाली.... नव किरणें दुल्हन सी लजाती हैं झाँकती, सिंदूरी घूंघट की की ओट से.... अलौकिक छवि नभ में उभरती चहुँओर, बिफरकर यूँ भोर की लाली से... स्वर्ण रश्मियां ...