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मुझे मेरे गाँव का सफर लागे बहुत सुहावना जहाँ बहे दूध दही की नदियांँ भीनी -भीनी मिट्टी की खूशबू लहलहाते हरे -भरे खेत खेतो के बीच खड़े पुतले डर कर मारे ...