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_____🍡🍡🍡🍡🍡_______ आज दिन दिन भर रहा बहका हुआ सा ! चाँद भी दिखता है कुछ दरका हुआ सा! शाम सोई सी फ़िजाये जाफ़रानी, बेख़ुदी की अश्क़ है छलका हुआ सा! आशियाँ ...