जिंदगी

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विषय- जिंदगी विधा-अविधा यह जिंदगी अजब पहेली है। सुख-दुख की नित सहेली है। सुलझाए बंधन समझे नहीं। रुलाती हंसाती संग खेली है। जिंदगी जगत में जुआ भी है। कोई जीता है ...

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