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विषय-जिंदगी शीर्षक-जिंदगी एक मॅंझधार है विधा-हरिगीतिका अब जिंदगी मॅंझधार है पल में किनारे छूटते। अब अनमोल है जिंदगी, नाता इसी से जोड़ते।। अब जिंदगी मॅंझधार है पल में किनारे छूटते। संभाल ...