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पावस ऋतु की मदिरा पीकर मदमस्त नदी इठलाती है। सागर से मिलने को व्याकुल पर्वतों से भी टकराती है।। वो राह बनाती है अपनी बाधाएं भी सभी हटाती है। राह में ...