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कविता ःमाता तेरे द्वार पर ~~~~~~~~~~~~~~~ मैं मूढ़मति मैं अज्ञानी न पूजा जानूँ न तुम्हारी अराधना आया तेरे द्वार पर दे दो मुझे सहारा ।। संसार तो जलती रेत जैसे आग ...