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नक्षत्र लोक को दृग देखे, अंतर्मन की अभिलाषा मेरा। संज्ञा शून्य दशा है मेरी, स्मृति हृदय तल में डाले डेरा। उत्तान व्योम के तारों में, हर चमक मे खोजू वो चेहरा। ...