मधुशाला - पाट-3

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भीग रहे शैल तुंग सब, भीग रही तरु की डाली,, भीगे पल्लव पुष्प लताएँ, भीग वन है वन है वनमाली,, धनक उठे सोंधि सोंधि सी, महक उठे हर इक कण कण,, ...

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