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आज दिनांक ४.७.२३ को प्रदत्त स्वैच्छिक विषय पर मेरी ग़ज़ल ग़ज़ल आप सब की समाहतों के हवाले मापनी १२२२,१२२२,१२२२,१२२२ मतला मुझे तेरी रिफ़ाक़त का जमाना याद आता है, ख़ुशी जो छीन ...