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कई दिनों तक चुल्हा रोया- कई दिनों तक चुल्हा रोया चक्की रही उदास सुधबुध था न कहीं किसी को रोके बैठे सांस अनहोनी थी बहुत बड़ी सबको ही था आभास अपनी-अपनी ...