परदेशी

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सरर सर बहती पवन जा री, पिय को दे संदेश, विरहन का मन क्लांत है री, आएँ अपने देश। झर झर-झर लगे सावन झड़ी, ये बरसे बरसात, दामिनी कड़के जिया धड़के, ...

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