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उलाहना बदलते प्रेम के रंग तुम्हारे मैं वह शख्स हूं समझा गलत जिसे आपने उठाकर कल्पना से जमीन पर पटका आपने खेलकर भावनाओं से पाया क्या जनाब आपने ...