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मासूम मोहब्बत का बस इतना फ़साना है, कागज़ की कश्ती है और बारिश का ज़माना है। क्या शर्त-ए-मोहब्बत क्या शर्त-ए-ज़माना है, आवाज़ भी ज़ख़्मी है और गीत भी गाना है। उस ...