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नैना तरसते हैं उस सुबह के लिए जब उम्मीद अपने शिखर पर होगी और ख़्वाबों को टूटने का डर नहीं होगा। जब खुलकर साँस ले सकूँगी मैं और कह सकूँगी, हाँ ...