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शर्मसार हो गई मानवता, कैसा मंजर छाया है, जहर घुल गया है फिजा में, हवाओं में जहर मिलाया है, जिसने भी देखा, सिसक उठा है। आत्मा भी चीत्कार उठी, कौन दरिन्दा ...