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मिटा माँग सिंदूर 1 मिटा माँग सिंदूर जब, बची नहीं फिर आस। बनकर विधवा भोगती, नारी नित वनवास।। 2 युद्ध अनल में जल रहा, सारा यह संसार। जीवन जैसे त्रासदी,बहती पीर ...