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#विषय:- स्वैच्छिक #शीर्षक:- आनन ओ दर्पण भी शरमाये जो आनन तुम्हारा दिखाये चाँद सा कह देता पर चाँद में तो दाग़ नज़र आये दर्पण भी सुशोभित होता प्रिय जिससे रोज़ सजती ...