अपवित्रता का दाग़

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मेरे आत्मसम्मान को क्षति पहुचा गए, शब्दों से मेरे तन-बदन में आग लगा गए। जो धूल कर भी धुलेगा नहीं, एक ऐसा! मुझपे अपवित्रता का दाग लगा गए। स्वरचित : निखिल ...

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