सुनहरे कंगन

1 Part

238 times read

19 Liked

ज़िंदगी अपनी आख़री पड़ाव पर  है। मै अपनी तन्हाई के साथ अकेला बस यूं ही इस विरान घर मे अपनी आख़रीं साँसे गिन रहा हूँ, ऐसी ही एक बोझिल शाम को ...

×