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नन्हे से कदम जब से घर में पड़े, जनक अँगना बहारें महकने लगी। काँध बेटी चढ़े पग चले पग धरे, तात की लाड़ली ख्वाब पूरे करे, लाड़-लाड़ो परी शाख उड़ने लगी। ...