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*दिल* बैठे हैं उसी रहगुज़र में जहाँ से तोड़कर दिल मेरा तुम गये समेट नहीं पाए आज भी कर-कर प्रयास हम हार गये। लाख कोशिशों के बावजूद समेटे नहीं सिमटता बार-बार ...