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कविता ःचिट्ठी मेरी **************** यह चिट्ठी नहीं.. अरमां मेरे दिल के शब्द नहीं ये, दुआएं बस तेरे लिए.. तू जो बैठा है परदेस में जाने कब आएगा अपने देस में निगाहें ...