विरह

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दग्ध हुआ तन-मन राधा का, मन बौराय छिन्न-भिन्न निलय। तेरे वक्ष वलय में कान्हा, कैसे हो प्रिय प्रणय विलय। छोड़ बसे जाकर मथुरा में, अश्रु संग बहते कजरा में, कैसे भूल ...

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