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आज शगुनों वाली रात थी, घर आने वाली बारात थी। वो डोली बनी अर्थी "निक्क", शायद वो किसी की हयात थी। स्वरचित : निखिल घावरे "निक्क सिंह निखिल" भोपाल (मध्यप्रदेश) दिनाँक ...