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शीर्षक-दहेज के शिकारी दहेज के थे शिकारी, नजरें थी कजरारी, तुझ पर चलाई आरी। छिपाए बैठे हैं कितने राज, नहीं आती उनको बिल्कुल लाज, जिंदा जलाते बेटी आज। जब लेकर चला ...