स्वैच्छिक विषय मेघा

1 Part

134 times read

9 Liked

मेघों मेंं जाकर छिप गया है चांद मेरा रात मे फिर से कटेगी रात मेरी आंसुओं के साथ में। तन्हाइयों हैं बेबसी है रात काले नाग सी, कैसे बचूंगा मैं भला ...

×