ग़म की रात

1 Part

276 times read

19 Liked

गम की रात दोहे काश मिलन होता अभी, जी उठती मृत देह। आयी गम की रात है, बहता अँखियन मेह।। तृषा बढ़ाती यह ऋतु, रोते कोमल नैन। तुम बिन मेरे साजना, ...

×