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दैनिक प्रतियोगिता हेतु ।। सावन के दोहे।। अमुआ पर झूले डले, झूल रही सुकुमार। गौर वर्ण गोपी किए, नख से सिख श्रृंगार।। बागों में झूले पड़े, नंदनवन की ...