धूप

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परिश्रम का गुण धूप सिखाए, परछाई सबको दिख जाए। बढ़ता जाए तेवर इसका, दिल कोई भी पिघल न पाए। आकर पसर गई आँगन में, कभी गुनगुनी सी मन भाए। स्वर्णिम चादर ...

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