1 Part
195 times read
23 Liked
परिश्रम का गुण धूप सिखाए, परछाई सबको दिख जाए। बढ़ता जाए तेवर इसका, दिल कोई भी पिघल न पाए। आकर पसर गई आँगन में, कभी गुनगुनी सी मन भाए। स्वर्णिम चादर ...