प्रेम

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*प्रेम* है कंटक से पूर्ण प्रेम-पथ, ज़रा सँभल कर पाँव पड़े। प्रेम-प्रवाहित-अगन जले हैं- देश-गाँव बहु राज गड़े।। जब-जब प्रेम वासना-प्रेरित, होता,हुआ,रहा,जग में। काम-वासना का ही विष-रस, बहता रहा सतत रग ...

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