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तेरे निशान तेरे निशान ढूँढती हूँ ए जिंदगी! कभी मुफलिसी में तो कभी बड़ी-बड़ी कोठियों में पर नजर आती नहीं तेरी मौजूदगी मुझे वैसे महसूस किया है मैंने तुझे अपने आस-पास ...