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दिल से दिल तक, अपनापन बिखराती है सब के उर में, ज्ञान-कमल निखराती है।। प्रेम-भाव व उन्नति की कालिंदी है। एक डोर में सबको जो है बांधती, वह हिंदी है।। अक्षर-अक्षर, ...