1 Part
214 times read
7 Liked
प्रेम निहित प्रतीक्षा में"... प्रेम निहित प्रतीक्षा में ही, मैं और तुम...! तू सूर्य था दीप्त रहा.. मैं किरण सी बिखर गई...... ! तू पर्वत था ...