क्या यही सुर दुर्लभ मानव तन है हमारी

1 Part

127 times read

6 Liked

क्या यही सुर दुर्लभ मानव तन है हमारी दुःखो के समंदर में डूबे हुए हैं हम कैसा इस दुनिया के सितम है कि खुद से भी डरे हुए हैं हम। भूख ...

×